2 मई 2020 को जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और शहरी मामलों का राष्ट्रीय संस्थान (एनआईयूए) ने एक आइडियाथॉन का आयोजन किया, जिसका विषय था-'नदी प्रबंधन का भविष्य'।
इस वेबीनार में दुनिया भर से करीब 500 प्रतिभागी एवं विशेषज्ञ एक साथ आए जिनमें पैनलिस्ट विशेषज्ञ, वरिष्ठ पारिस्थितिकी वैज्ञानिक और अनेकों गणमान्य विशेषज्ञ उपस्थित थे।इस आयोजन के उद्देश्य निम्नांकित है-
- महामारी कोविड-19 में हमें नदी प्रबंधन के लिए क्या-क्या सबक सिखाया?
- संकटों से निपटने के लिए नदियों की सामाजिक दृष्टिकोण का लाभ कैसे उठाया जा सकता है?
- नदी संकट की स्थिति में किस प्रतिक्रिया वाले तंत्र की आवश्यकता है?
- कोविड-19 का संकट कैसे भविष्य में प्रबंधन के लिए रणनीतियों को आकार दे सकता है?
वेबीनार की शुरुआत एनआईयूए के डॉ विक्टर शिंदे ने की। उन्होंने नदी प्रबंधन को मुख्यधारा में लाने हेतु एनएमसीजी के साथ मिलकर शहरी नदी प्रबंधन की योजना को संदर्भित किया।उन्होंने नदियों के प्रति संवेदनशील होने और शहरी नियोजन मापदंडों के महत्व पर बल दिया।
श्री राजीव रंजन मिश्रा जो कि एनएमसीजी के महानिदेशक है, उन्होंने 'नमामि गंगे' पहल का परिचय कराया।
उन्होंने लॉकडाउन का जिक्र करते हुए कहा कि इस काल में नदियों में कूड़ा कचरा, उद्योगो आदि का बहिस्राव बंद होने के कारण नदियों के जल के गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
उन्होंने 'गंगा क्वेस्ट' ऑनलाइन क्विज का भी जिक्र किया जिसमें देश भर से 600000 से भी ज्यादा छात्र शामिल हो रहे हैं।
आइडियाथॉन में हुए विचार-विमर्श के आधार पर नमामि गंगे और एनआईयूए ने एक पॉलिसी पेपर लाने की योजना तैयार की है।
Source: pib.gov.in