चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण
22 जुलाई 2019 वह दिन जब भारत के अंतरिक्ष अभियान में एक नया अध्याय
जुड़ गया। दोपहर 02:43 बजे जैसे ही चंद्रयान 2 को प्रक्षेपित किया गया तो पूरे देश
में खुशी की लहर दौड़ गई। नए भारत का जो सपना हमने देखा था उसमे जैसे पंख लग गए।
चंद्रयान-2 |
चंद्रयान-2 को सफतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया
गया।
2008 में जब भारत ने चंद्रयान-1 को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया
था तब चांद पर पानी की उपलब्धता के संकेत मिले थे। चंद्रयान-1 की चांद पर लैंडिंग नहीं
हो सकी थी।
चंद्रयान-2 लगभग पौने दो महीने का सफर तय कर 7 या 8 सितंबर तक चन्द्रमा
पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। मिशन पूरा करते ही भारत चन्द्रमा पर चंद्रयान कि सफतापूर्वक
लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पूर्व अमेरिका, चीन व रूस चन्द्रमा पर सफल
लैंडिंग कर चुके है।
सोमवार को दोपहर पौने तीन बजे चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित किया गया
और यह 16 मिनट में ही पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया। इसके साथ ही इसरो के नाम
एक नई उपलब्धि जुड़ गई। इसरो के वैज्ञानिकों समेत पूरे देश में खुशी फेल गई।
चंद्रयान-2 |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा अन्य
बड़े राजनेताओं, खिलाड़ियों व अभिनेताओं ने इसरो की पूरी टीम को बधाई दी। सोशल मीडिया
पर पूरे दिन बधाई का दौर चलता रहा।
लाखो लोग प्रक्षेपण को टीवी, मोबाइल व अन्य तरीकों से लाइव देख
रहे थे। इसरो ने भी प्रक्षेपण को लाइव दिखाने के लिए एक गैलरी बनाई है। प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी भी अपने कार्यालय से लाइव प्रक्षेपण देख रहे थे।
चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष में चांद की सतह पर उतारा जाएगा। इसका मुख्य
लक्ष्य चांद पर हीलियम की खोज, पानी की उपलब्धता व चन्द्रमा की मिट्टी में उपलब्ध खनिजों
का पता लगाना है। चंद्रयान-2 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया जाएगा जहां
पर सामान्यत अंधेरा रहता है। ऐसा करने वाला भारत पहला देश बन जाएगा जबकि चांद पर लैंडिंग
चीन, अमेरिका व रूस कर चुके है।
चंद्रयान 16 मिनट के बाद ही पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया।
चंद्रयान के पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के बाद इसरो के चेयरमैन के. सिवान ने
बताया कि लॉचिंग उम्मीद से बेहतर हुई है। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने
कहा कि ये भारत के अंतरिक्ष अभियान की शुरुआत है।
के. सिवान (इसरो) |
चंद्रयान-2 लगभग 3850 किग्रा वजन का है। यह 4000 किग्रा वजन तक
के पेलोड को के जा सकता है। इसमें तीन मुख्य भाग है_ ऑर्बिटल, लैंडर तथा रोवर। लैंडर
का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया है। चन्द्रमा
की सतह से 100 किमी दूरी पर ही रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम से अलग हो जाएगा और वही
से हाई रिजॉल्यूशन की तस्वीरे धरती पर भेजेगा जबकि धरती से तस्वीरों को विक्रम को भेजा
जाएगा और विक्रम सही जगह का चुनाव करके सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
इसके बारे अधिक जानने और चंद्रयान के प्रक्षेपण को देखने के लिए
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