*स्थिर वैद्युतिकी:
यह विज्ञान की
वह शाखा है जिसमें विद्युत व विद्युत क्षेत्र से संबंधित नियमों व सिद्धांतों का अध्ययन
किया जाता है। इसमें सबसे पहले कूलाम के नियम और वैद्युत क्षेत्र का अध्ययन किया जाता
है। कूलाम के नियम को समझने के लिए हमें पहले कुछ परिभाषाएं पढ़नी पड़ेगी।
*वैद्युत आवेश
जब किसी पदार्थ
या कण के परमाणु से कोई इलेक्ट्रॉन अलग हो जाता है या जब कोई पदार्थ या कण अपने एक
या अधिक इलेक्ट्रॉन किसी दूसरे कण को दे देता है तो दोनों पदार्थों पर वैद्युत आवेश
आ जाता है। हमेशा इलेक्ट्रॉन देने वाला तत्व धन आवेशित व इलेक्ट्रॉन लेने वाला तत्व
ऋण आवेशित होता है।
*इस प्रकार आवेश दो
प्रकार का होता है-
धन आवेश तथा ऋण
आवेश
नोट: एक ही जैसे
दो आवेश एक दूसरे को हमेशा प्रतिकर्षित करते हैं। जैसे: एक धन आवेशित कण दूसरे धन आवेशित
कण को हमेशा अपने से दूर हटाएगा इसी प्रकार एक ऋण आवेशित कण दूसरे ऋण आवेशित कण को
हमेशा अपने से दूर हटाएगा।
नोट: भिन्न-भिन्न
आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं। यदि धन आवेशित व ऋण आवेशित कण को एक साथ रखेंगे
तो दोनों आपस में विलय हो जाएंगे।
नोट: आवेश का
मात्रक कूलाम होता है।
यदि किसी कण पर
धन आवेश व ऋण आवेश की मात्रा बराबर हो जाती है तो वह कण विद्युत उदासीन हो जाता है।
*वैद्युत आवेश संरक्षण
का नियम
वैद्युत आवेश
को न तो किसी भी विधि से उत्पन्न किया जा सकता है न हीं नष्ट किया जा सकता है। अत:
वैद्युत आवेश हमेशा संरक्षित रहता है।
*आवेश का क्वांटम सिद्धांत:
स्थिर वैद्युतिकी
में आवेश की सबसे कम मात्रा को e से प्रदर्शित किया जाता है। अन्य आवेशों की बात करें
तो वह हमेशा ही e के गुण होते हैं। e का गुणज हमेशा पूर्ण प्राकृतिक संख्या होती है।
जैसे e,2e 3e
आदि। यह किसी भी स्थिति में भिन्न नहीं हो सकता। जैसे: e/2 या 0.5e आदि।
*इलेक्ट्रॉन्स
कोई भी कण बहुत
सारे परमाणुओं से मिलकर बनता है।
परमाणु के बीच
में एक भाग होता है जिसमें प्रोटॉन व न्यूट्रॉन पाए जाते हैं इसे नाभिक कहते हैं। नाभिक
के चारो और अलग-अलग कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन्स गति करते रहते हैं।
उपयुक्त परिभाषाओं
को पढ़ने के बाद अब हम अगले ब्लॉग में कूलाम के नियम का अध्ययन करेंगे।