गति व गति के नियम

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गति:
गति वह भौतिक राशि है जिसके द्वारा कोई वस्तु समय के सापेक्ष अपना स्थान परिवर्तित करती है।

गति के प्रकार
गति निम्न प्रकार की होती है
१. सरल रेखीय गति
२. वृत्तीय गति
३. दोलन गति
४. घूर्णन गति
५. आवर्त गति




१. सरल रेखीय गति: जब कोई पिंड एक सीधी रेखा में गति करता है तो उसे सरल रेखीय गति कहते हैं।

२. वृत्तीय गति: जब कोई पिंड वृत्ताकार में गति करता है उसे वृत्तीय गति कहते हैं।

३. दोलन गति: जब कोई वस्तु अपनी माध्य स्थिति के दोनों और गति करती है तो उसे दोलन गति कहते हैं।

४. घूर्णन गति: जब कोई पिंड अपने दूरी पर एक निश्चित गति से घूमता है उसे घूर्णन गति कहते हैं।

५. आवर्त गति: जब कोई स्वतंत्र रूप से लटकता हुआ पिंड किन्हीं दो बिंदुओं के बीच नियमित अंतराल पर दोलन करता है उसे दोलन गति कहते हैं।


न्यूटन के गति के नियम
प्रथम नियम: यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो है विराम अवस्था में रहेगी और यदि गति की अवस्था में है तो गति की अवस्था में ही रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल लगाकर उसकी स्थिति में परिवर्तन नहीं कर दिया जाए। इसे गैलीलियो का नियम व जड़त्व का नियम भी कहा जाता है।
उदाहरण: रुकी हुई गाड़ी के अचानक चल जाने पर उसमें बैठे यात्री पीछे की ओर झुक जाते हैं तथा चलती हुई गाड़ी के अचानक रुक जाने पर यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं।
द्वितीय नियम: किसी वस्तु पर लगने वाला बल वास्तु में उत्पन्न तरण के गुणनफल के समानुपाती होता है। इसे न्यूटन का गति का द्वितीय नियम कहते हैं।
उदाहरण: क्रिकेट खिलाड़ी ग्रैंड को कैच करते समय अपने हाथों को पीछे कर लेता है।
तृतीय नियम: प्रत्येक क्रिया के बराबर तथा विपरीत दिशा में एक प्रतिक्रिया होता है न्यूटन की गति का तृतीय नियम है इसे क्रिया प्रतिक्रिया नियम भी कहते हैं।
उदाहरण: बंदूक से गोली चलाते समय बंदूक पीछे की ओर हटती है।


त्वरण: किसी वस्तु का वेग में होने वाले परिवर्तन को वेग परिवर्तन कहते हैं बशर्ते कि वह परिवर्तन धनात्मक में हो।


मंदन: किसी वस्तु के वेग में होने वाले ऋणआत्मक परिवर्तन को मंदन कहते हैं।

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