केंद्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसके अनुसार,
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय का नाम बदलकर पुनः शिक्षा मंत्रालय किया जाएगा।
जीडीपी का 4.3% की जगह 6% शिक्षा पर खर्च होगा।
सभी कोर्सो का पाठ्यक्रम कम किया जाएगा। नया पाठ्यक्रम 2021 से लागू होगा।
पांचवी तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई होगी। राज्य चाहे तो इसे 8वी तक लागू कर सकेंगे।
10+2 सिस्टम को समाप्त किया जाएगा इसकी जगह 5+3+3+4 सिस्टम लागू किया जाएगा जो इस प्रकार होगा -
फाउंडेशन लेवल: इसमें नर्सरी, केजी से दूसरी कक्षा तक की 5 कक्षा शामिल होगी।
प्राइमरी लेवल: इसमें तीसरी, चौथी और पांचवी 3 कक्षाओं के विद्यार्थी पढ़ेंगे।
माध्यमिक लेवल: इसमें छठी, सातवीं और आठवीं कक्षाओं को शामिल किया जाएगा।
सेकेंडरी लेवल: इसमें नौवीं से 12 वीं तक के विद्यार्थी अध्ययन करेंगे।
स्कूल बोर्ड परीक्षाएं वर्ष में एक बार की जगह दो बार आयोजित की जा सकती हैं।
मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से भारत अपने वैभव की पुनः प्राप्त करेगा।
- डॉ रमेश निशंक पोखरियाल
2030 तक स्कूलों में शत प्रतिशत बच्चों का नामांकन किया जाएगा, ऐसा लक्ष्य रखा गया है।
शोध की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए चार वर्ष का डिग्री प्रोग्राम होगा जबकि स्नातक के बाद नौकरी चाहने वाले छात्र तीन साल की पढ़ाई के बाद डिग्री ले सकेंगे।
अधिक पुराने कोर्सों और जिन कोर्सों में छात्रों की संख्या काफी कम है उन्हें बंद किया जाएगा और नए व्यवसायिक कोर्स शुरू किए जाएंगे।
संस्कृत भाषा में पढ़ाई करने वाले छात्रों को सरकार आर्थिक रूप से मदद करेगी।
स्नातक तक एक ही प्रवेश परीक्षा होगी।
सभी प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) आयोजित कराएगी।
विभिन्न पाठ्यक्रमों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएगी।
2035 तक उच्च शिक्षा में पंजीकरण 28.3% से 50% तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
स्नातक में प्रथम वर्ष की पढ़ाई के बाद प्रमाण-पत्र (सर्टिफिकेट), दो वर्ष की पढ़ाई के बाद डिप्लोमा और तीन वर्ष की पढ़ाई के बाद डिग्री मिलेगी। विद्यार्थी स्नातक के किसी भी वर्ष में पढ़ाई छोड़ सकेंगे।
UGC, SICTE और ACTE को बंद किया जाएगा तथा इनकी जगह एक नियामक बनाया जायेगा।