15 जून को चीन और भारत के सैनिको के बीच गलवान घाटी मे हुए टकराव मे भारत के 20 जवान शहीद हो गए और कई अन्य घायल हो गए। चीन के भी कई सैनिको के हताहत होने की खबर है मगर चीनी मीडिया और चीनी विदेश मंत्रालय ने इस बारे मे कोई बयान या आंकड़ा जारी नहीं किया है। विभिन्न न्यूज़ स्रोतो की माने तो चीन के 40 से अधिक सैनिक मारे गए है और कई अन्य घायल हुए है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट छुपकर भारतीय सैनिको पर हमला किया। चीनी सैनिको ने भारतीय जवानो पर रोड, पत्थरो, डंडों जिन पर नुकीले तार लपेटे हुए थे आदि से हमला किया।
इसके बाद विभिन्न राजनीतिक दलो मे घमासान शुरू हो गया कि भारतीय सैनिको को LAC पर बिना हथियारो के क्यो जाने दिया गया? आइये इसे विस्तार से समझते है।
चीन और भारत के संबंध पहले से ही खराब रहे है। अक्सर भारत और चीन के मध्य सीमा को लेकर विवाद चलता रहता है। नियमित अंतराल पर भारत और चीन के सैनिको के मध्य टकराव कि स्थिति उत्पन्न होती रही है। भारत क्षेत्र मे हमेशा से ही शांति चाहता है जबकि चीन पहले से ही धोखेबाज रहा है फिर चाहे वह 1962 का भारत-चीन युद्ध हो या डोकलम मे भारत-चीन के बीच झड़प या फिर गलवान घाटी मे घटित यह घटना।
नवम्बर 1996 मे जब एचडी देवेगौड़ा भारत के प्रधानमंत्री थे तब चीन के अब तक सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले राष्ट्रपति जियांग जेमिन ने भारत से संबंधो को सुधारने के लिए भारत कि यात्रा की थी। इस यात्रा के दौरान हिमालय क्षेत्र मे शांति के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे जो इस प्रकार था-
हिमालय क्षेत्र मे झगड़े वाली सीमा पर शांति बनाने के लिए दोनों देशो के सैनिक किसी भी तरह की बंदूक, विस्फोटक आदि से LAC के 2 किमी परिधि मे गोलाबारी नहीं करेंगे। यदि किसी परिस्थिति मे दोनों देशो के सैनिक आमने-सामने आ जाए या टकराव की स्थिति उत्पन्न हो तो दोनों पक्षो को संयम रखना होगा और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों या राजनयिको के मध्य बातचीत से समस्या का हल निकाला जाएगा। यद्यपि यदि सैनिको को लगता है की उनके क्षेत्र पर दूसरा पक्ष अधिकार कर रहा है या अपने क्षेत्र मे खतरा महसूस होता है तो वे शीर्ष कमांडरों के आदेश अनुसार किसी भी प्रकार के हथियार का इस्तेमाल आत्मरक्षा के लिए कर सकते है।
इस समझौते के बाद इस क्षेत्र मे भारत-चीन के सैनिको के मध्य कभी हथियारो का इस्तेमाल नहीं हुआ लेकिन मारपीट और धक्का-मुक्की की घटनाए सामने आती रही है।
यद्यपि समय-समय पर भारत-चीन के मध्य सीमा विवाद पर बातचीत होती रही है मगर कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
हाल ही मे घटित डोकलम विवाद और अब गलवान घाटी मे हिंसा इस बात को प्रमाणित करते है की चीन क्षेत्र मे शांति नहीं चाहता। अभी आगे सरकारे क्या निर्णय लेती है इस पर ध्यान देना होगा।